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Skin Cancer: Types, Causes and Treatment | Dr. Priya Tiwari

Skin Cancer: Types, Causes and Treatment | Dr. Priya Tiwari

स्किन कैंसर त्वचा की कोशिकाओं का असामान्य रूप से बढ़ना होता है। स्किन कैंसर आमतौर पर शरीर के उन अंगों पर होता है जो धूप के संपर्क में आते हैं जैसे चेहरा, गर्दन और हाथ। यह बीमारी शरीर के उन अंगो में भी हो सकती है जो धूप के संपर्क में कम आते है या बिलकुल नहीं आते। स्किन कैंसर किसी को भी हो सकता है लेकिन आमतौर पर यह गोरी त्वचा पर होता है क्योंकि गोरी त्वचा में मेलेनिन नामक पिगमेंट की मात्रा कम होती हैं। स्किन का कैंसर स्किन की एपिडर्मिस (ऊपरी या बाहरी परत) से शुरू होता हैं।

स्किन कैंसर के लक्षण
अब जानते है स्किन कैंसर के लक्षण :-
१. त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना।
२. त्वचा पर घाव या पपड़ी का उभरना।
३. तिल की संख्या एव आकार का अचानक बढ़ना।
४. घाव में वृद्धि होना एव घाव ठीक न होना।
५. शरीर में मस्सों का अधिक होना।

स्किन कैंसर होने के कारण
१. पराबैंगनी किरणें - पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं को डीएनए द्वारा नष्ट कर देती है जिससे स्किन कैंसर होने का जोखिम बढ़ता हैं। पराबैंगनी किरणें सूरज की रौशनी में ज्यादा पाई जाती हैं।
२. गोरी त्वचा - स्किन कैंसर किसी भी स्किन टोन के लोगों को हो सकता है परन्तु गोरी त्वचा में मेलानिन की मात्रा कम होती हैं जो त्वचा को पराबैंगनी किरणों से कम सुरक्षा प्रदान कर पाते हैं।
३. परिवार में पहले कभी किसी का स्किन कैंसर होना - अगर परिवार में कोई व्यक्ति स्किन कैंसर से ग्रसित हो चुका है तो स्किन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
४. पहले खुद कभी स्किन कैंसर से ग्रसित होना - यदि किसी व्यक्ति को पहले भी कभी स्किन कैंसर हो चुका है तो कैंसर के फिर से विकसित होने के कारण ज्यादा होते हैं।
५. कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली - कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में स्किन कैंसर होने की संभावना अधिक होती हैं।

स्किन कैंसर के प्रकार
१. बेसल सेल कार्सिनोमा - बेसल सेल कार्सिनोमा आमतौर पर सूर्य के संपर्क में आने वाले अंगो में पाया जाता हैं। यह एक सफ़ेद या मांस के रंग की गाँठ के रूप में विकसित होता हैं।इससे रक्त भी बह सकता हैं। यदि इस कैंसर का उपचार नहीं किया जाए तो यह त्वचा में वृद्धि कर लेता हैं जिससे इसका इलाज़ करना कठिन हो जाता हैं।
२. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा - स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा के उन अंगो में होता हैं जो लम्बे समय तक सूर्य या धूप के संपर्क में आते हैं जैसे की चेहरा, कान, होंठ, गर्दन, हाथ। यह कैंसर घाव, मास्सा या फिर एक पपड़ीदार लाल पैच के रूप में विकसित हो सकता हैं। यह कैंसर अगर शरीर में नहीं फैला हैं तो आसानी से इसका इलाज़ संभव हैं।
३. मेलेनोमा - यह स्किन कैंसर का एक ऐसा रूप हैं जो सेल के मेलेनिन पिग्मेंट (MELANOCYTES) में विकसित होता हैं। यह स्किन कैंसर का खतरनाक रूप हैं जो की सबसे अधिक स्किन कैंसर से होने वाली मृत्यु के लिए जिम्मेदार होता हैं। यह कैंसर शरीर के अन्य अंगो में तेजी से फैलता हैं।
४. एक्टिनिक केराटोसिस - यह कैंसर गोरी त्वचा वाले लोगों में सबसे आम माना जाता हैं जो की त्वचा में मोटे पपड़ीदार पैच के रूप में विकसित होता हैं। यह कैंसर सूर्य के संपर्क में आने वाले अंगो पर होता हैं जैसे की चेहरा, गर्दन, हाथ या हाथो के पीछे।

स्किन कैंसर का इलाज़
स्किन कैंसर एक जानलेवा बीमारी हैं अगर समय रहते इसका इलाज़ नहीं किया जाए। स्किन कैंसर वाले रोगियों के लिए विभिन्न प्रकार के इलाज़ हैं जैसे की :
१. सर्जरी
२. कीमोथेरेपी
३. रेडिएशन थेरेपी
४. फोटोडैनेमिक थेरेपी
५. इम्म्युनो थेरेपी
६. टारगेट थेरेपी

इसके अलावा अन्य दवा चिकित्सा भी होती हैं जो स्किन कैंसर को ठीक करने में मदद करती हैं।

स्किन कैंसर से बचाव
स्किन कैंसर से बचाव के महत्वपूर्ण तरीके कुछ इस प्रकार हैं -
१.  धूप से बचना - स्किन कैंसर से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं धूप के संपर्क में आने से बचना क्योंकि त्वचा के लिए सूरज की किरणें हानिकारक होती हैं और स्किन कैंसर होने की संभावना को भी बढ़ाती हैं।
२. सन्सक्रीम का इस्तेमाल करना - सूरज की किरणों से बचाव के लिए घर से बाहर  जाते समय सन्सक्रीम का इस्तेमाल करना जिससे की त्वचा पर सूरज की किरणों का दुष्प्रभाव न हों।
३. लिप बाम लगाना - यह कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता हैं जैसे की होंठ। इसीलिए व्यक्ति को घर से बाहर निकलते समय लिप बाम का प्रयोग करना चाहिए।
४. धूप के चश्में पहनना - धूप के चश्में पहनने से आँखों की रक्षा हो सकती हैं। धूप के चश्में आँखों को सूरज की किरणों के दुष्प्रभाव से बचाने में मदद करता हैं।
५. स्किन की जांच कराना - स्किन कैंसर से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं समय-समय पर स्किन की जांच कराना। स्किन की जांच कराने से अगर किसी व्यक्ति को स्किन का कैंसर होने की सम्भावना हैं तो समय रहते इसका इलाज़ शुरू हो सकता हैं।
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