फेफड़े का कैंसर भारत में पुरुषों में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। इसके अधिकांश मरीज चालीस साल की ऊपर के आयु के होते है।
यह कैंसर किसी को भी हो सकता है और यह कैंसर महिलाओं और पुरुषों दोनो में देखा जा रहा है। इस रोग में फेफड़ों के ऊतकों (सेल्स या कोशिकाओं का समूह) में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है।
कुछ रिस्क फैक्टर की वजह से यह ज्यादा होता है :
- तम्बाकू : बीड़ी,सिगेरट, हुक्का, खैनी पान मसाला इत्यादि से इस कैंसर का रिस्क काफी बढ़ जाता है। नब्बे प्रतिशत फेफड़े के कैंसर के मरीजों में तम्बाकू सेवन मिलता है।
- पैसिव या सेकंड हैंड स्मोकिंग : अगर आप स्मोक नहीं करते पर किसी स्मोकर की संगत में रहते है तो भी आपको कैंसर होने का रिस्क होता है । इसे सेकंड हैंड स्मोकिंग कहते है। बच्चो के लिए तो यह काफी नुकसानदायक होता है।
- वायु प्रदुषण : वायु प्रदुषण से होने वाला कैंसर अब बढ़ रहा है। भारत और चीन में यह समस्या ज्यादा है और इस वजह से कैंसर के रोगी भी ज्यादा संख्या में देखे जा रहे है।
- बंद वातावरण में अंगीठी का प्रयोग या फिर चिमनी का प्रयोग
- एस्बेस्टस की फैक्ट्री या खदान में काम करना
- अन्य रिस्क फैक्टर : चूल्हे पर काम करना, रैडॉन गैस , कोई लम्बा इन्फेक्शन या फेफड़े की दूसरी बीमारियां : टी बी , ब्रोंचिएक्टेसिस
चिन्ह:अब जानते है की फेफड़े के कैंसर के लक्षण क्या होते है। आम तौर पर फेफड़े के कैंसर में खांसी की दिक्कत होती है। तीन हफ्ते से ज्यादा की खासी कैंसर हो सकती है। इसके अलावा खांसी में खून आना , सांस फूलना भी कैंसर में हो सकते है। कैंसर जब ज्यादा बढ़ जाता है इसमे दर्द भी शुरू हो जाता है । भूख में कमी और वजन में कमी भी कैंसर की वजह से हो सकते है।
फेफड़े का कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाये तो यह शरीर के बाकी हिस्सों में फैल सकता है।
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